तबला !
( तर्ज : : सजना ! काहे भूल गये )
तबला ! तबला !!
कई दिनसे बजा यह तबला || टेक ||
गुरु नानक ने सीख बनाया ।
ग्रंथ - साहिब पर दृष्टि लगाया ॥
फिर भी न
भारत है उबला ॥ तबला ॥१ ॥
गोस्वामी तुलसी की वाणी ।
उत्तर के घर घर में जानी ॥
रामराज्य अब
भी न चला ॥ तबला ॥२ ॥
गुरु ज्ञानेश्वर की प्रति - गीता ।
सरल भाष्य में किया सुबीता ॥
मानव में
प्रेम चला || तबला ॥३ ॥
महाप्रभू चैतन्य भी आये |
बजा बजा पखवाज सुनाये ॥
' हरी ! हरी ! '
सबसे नहीं निकला ॥ तबला ।। ४ ।।
कितनो की गिनती बतलावे ?
तुकड्यादास वही सुनवावे ॥
क्या जाने
कब होत भला ? ॥ तबला ।। ५ ।।
इटारसी ; दि . १७-८-६२
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